केंद्रीय सतर्कता आयोग || Central Vigilance Commission (CVC)


केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)

उद्देश्य – केन्द्र सरकार में भ्रष्टाचार रोकने के लिए 

– गठन : 11 फरवरी वर्ष 1964 (1964 में केन्द्र सरकार द्वारा पारित एक प्रस्ताव के अन्तर्गत)
– संथानम समिति (1962-64) की सिफारिश पर गठन हुआ था
– वर्ष 2003 में संसद द्वारा पारित एक विधि द्वारा इसे सान्विधिक दर्जा दिया गया
– वर्ष 2004 में भारत सरकार ने CVC को नामित एजेंसी के रूप में अधिकृत किया की भ्रष्टाचार के आरोपों में खुलासे से संबंधित शिकायतों अथवा पद के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतों को प्राप्त करेगा तथा कार्रवाई की अनुशंसा करेगा

मुख्यालय : नई दिल्ली
संबंधित मंत्रालय : कार्मिक मंत्रालय

प्रथम आयुक्त : एस एन राऊ
वर्तमान आयुक्त : सूर्य सेन पटेल
कोई महिला अभी तक आयुक्त नहीं बनी है।

संरचना : 1 अध्यक्ष(केंद्रीय सतर्कता आयुक्त) + max. 2 सदस्य

अध्यक्ष तथा सदस्यों कि नियुक्ति : राष्ट्रपति द्वारा – 3 सदस्यीय समिति की सिफारिश पर
समिति के प्रमुख प्रधानमंत्री तथा सदस्यों में लोक सभा के अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष का नेता तथा गृहमंत्री।

शपथ : राष्ट्रपति को
कार्यकाल : 4 वर्ष या 65 वर्ष की आयु(जो भी पहले हो)
अपने कार्यकाल के पश्चात केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के  योग्य नहीं होते हैं

त्यागपत्र : राष्ट्रपति को

पद से हटाना :

  • राष्ट्रपति द्वारा दिवालिया, मानसिक या शारीरिक अक्षमता, किसी अपराध का दोषी,  दुराचरण या अपने कार्यकाल के दौरान अपने कार्यक्षेत्र से बाहर की रोजगार में संलिप्तता के कारण
  • दुराचरण या अक्षमता के मामले में राष्ट्रपति इस विषय को उच्चतम न्यायालय में जांच के लिए सौंपता है

– केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्तें संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान है होती है। तथा अन्य सतर्कता आयुक्तों की संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों के समान।

प्रमुख बिंदु :

– CVC का अपना सचिवालय, मुख्य तकनीकी परीक्षक शाखा तथा विभागीय जांच के लिए CBI की एक शाखा होती है।
– CVC के सचिवालय में एक सचिव, संयुक्त सचिव, उपसचिव, अवर सचिव तथा कर्मचारी होते हैं।
– मुख्य तकनीकी परीक्षक शाखा का कार्य – सतर्कता दृष्टिकोण में तकनीकी आंकेक्षण, अधिकारियों को तकनीकी मामलों से जुड़े सतर्कता विषयों पर सलाह देना आदि।
– CBI लोक सेवकों के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई की मौखिक जांच करता है।

– CVC के पास दीवानी न्यायालय जैसी सभी शक्तियां प्राप्त है( अर्थात यह केन्द्र सरकार और इसके प्राधिकरणों से किसी भी जानकारी अथवा रिपोर्ट की मांग कर सकता है)
– CVC अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है जिसे राष्ट्रपति संसद में रखवाता है
– CVC कोई अन्वेषण एजेंसी नहीं है यह CBI के माध्यम से जांच करवाती है
– CVC के अध्यक्ष तथा सदस्य वित्त मंत्राल
– CVC  ने भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद के साथ मिलकर Integrity Index Development(IID) का निर्माण किया है

कार्य :

– भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना
– भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1988), मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम(2002) के अन्तर्गत भ्रष्टाचार की जांच करना
– भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अन्तर्गत किए गए अपराध को विशेष दिल्ली पुलिस बल द्वारा कि गई जांच की समीक्षा करना
– केन्द्र सरकार के मंत्रालयों व प्राधिकरणों के सतर्कता प्रशासन पर नजर रखना । आदि

कार्यक्षेत्र :
(किस किस की जांच करेगा)

  1. अखिल भारतीय सेवा वें  सदस्य जो ग्रुप A के अधिकारी हों
  2. बैंको के स्केल 5 से ऊपर के अधिकारी
  3. RBI,  नाबार्ड, SIDBI के ग्रेड D और उसके ऊपर के अधिकारी
  4. साधारण बीमा कंपनियों के प्रबंधक
  5. PSU LET बोर्डों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी

प्रमुख धारा : 

धारा 3 : गठन, संरचना, योग्यता
धारा 4 : नियुक्ति, कार्यकाल, वेतन
धारा 6 : पद से हटाना

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