ई-गवर्नेस


ई-गवर्नेस  –

  •  किसी देश के नागरिकों को सरकारी सूचना एवं सेवाएं प्रदान करने के लिये संचार एवं सूचना       प्रौद्योगिकी का समन्वित प्रयोग करना।
  • ई-गवर्नेंस में “ई” का अर्थ ‘इलेक्ट्रॉनिक है।

ई-गवर्नेस के उदय के कारण

• शासन का जटिल होना

• सरकार से नागरिकों की अपेक्षाओं में वृद्धि

ई-गवर्नेंस की विभिन्न धारणाएं

प्रशासन:

राज्य को आधुनिक बनाने के लिए आईसीटी का उपयोग; प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के लिए डेटा संग्रह  का निर्माण और रिकार्ड्स  (भूमि, स्वास्थ्य आदि) का कंप्यूटरीकरण।

ई-सेवाएँ- इसका उद्देश्य राज्य और नागरिकों के मध्य संबंध को मजबूत करना है।

उदाहरण के लिये

  • ऑनलाइन सेवाओं का प्रावधान।
  •  ई-प्रशासन और ई-सेवाओं का एक साथ समायोजन करना, जिसे बड़े पैमाने पर ई-सरकार कहा जाता है।

ई-गवर्नेंस- समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सरकार की क्षमता में सुधार हेतु सूचना एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।

  •  इसमें नागरिकों  के लिये नीति और कार्यक्रम से संबंधित जानकारी का प्रकाशन शामिल है।
  • यह ऑनलाइन सेवाओं के अतिरिक्त सरकार की योजनाओं की सफलता के लिये आईटी का उपयोग करता है और सरकार के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।

ई-लोकतंत्र- राज्य के शासन में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु आईटी का उपयोग।

  •  इसके अंतर्गत पारदर्शिता, जवाबदेही  और लोगों की भागीदारी पर जोर दिया जा रहा है।
  •  इसमें नीतियों का ऑनलाइन खुलासा, ऑनलाइन शिकायत निवारण, ई-जनमत संग्रह आदि शामिल हैं।

उत्पत्ति:

भारत में ई-गवर्नेंस की उत्पत्ति 1970 के दशक के दौरान चुनाव, जनगणना, कर प्रशासन आदि से संबंधित डेटा गहन कार्यों के प्रबंधन के लिये आईसीटी के अनुप्रयोगों पर ध्यान देने के साथ हुई।

प्रारंभिक कदम

• 1970 में इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की स्थापना भारत में ई-गवर्नेंस की दिशा में पहला बड़ा कदम था क्योंकि

इसमें ‘सूचना और संचार पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

• 1977 में स्थापित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने देश के सभी जिला कार्यालयों को

कंप्यूटरीकृत करने के लिए “जिला सूचना प्रणाली कार्यक्रम शुरू किया

• ई-गवर्नेस को बढ़ावा देने की दिशा में 1987 में लॉन्च NICNET (राष्ट्रीय उपग्रह-आधारित कंप्यूटर नेटवर्क) की स्थापना  गई 

उद्देश्य

  •  नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदान करना।
  •  पारदर्शिता और जवाबदेही का पालन।
  • सूचनाओं के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाना
  •  शासन दक्षता में सुधार।
  •  व्यापार और उद्योग के साथ इंटरफेस में सुधार।

ई-गवर्नेस के स्तंभ

  • लोग
  • प्रक्रिया
  • प्रौद्योगिकी
  •  संसाधन

ई-गवर्नेस में सहभागिता के प्रकार         

  •  G2G यानी सरकार से सरकार                           GGOVERNMENT
  • G2C यानी सरकार से नागरिक                            CCITIZEN
  • G2B यानी सरकार से व्यापार।                            BBUSINESS
  • G2E यानी सरकार से कर्मचारी।                          EEMPLOYEE

 डिजिटल इंडिया पहल

  • इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) द्वारा लॉन्च किया गया है  यह भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज व ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया।

डिजिटल इंडिया के केंद्र में तीन मुख्य क्षेत्र हैं:

(i) प्रत्येक नागरिक के लिये सुविधा के रूप में बुनियादी ढांचा

(ii) गवर्नेंस व मांग आधारित सेवाएँ

(iii) नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण  

ई-गवर्नेंस के लाभ

  •  ई-गवर्नेंस से प्रशासनिक कार्य एवं सेवाओं की दक्षता एवं गुणवत्ता में सुधार होता है।
  •  ई-गवर्नेंस के माध्यम से सरकार को सारे आँकड़े आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
  •  सरकारें विभिन्न योजनाएं और नीतियाँ बनाने के दौरान इन आंकड़ों का विश्लेषण कर बेहतर निर्णय ले सकती हैं।
  •  ई-गवर्नेंस के परिणाम स्वरूप एक कॉमन डाटा तैयार हो जाता है जिसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
  •  इससे जनता और सरकार के बीच स्वस्थ एवं पारदर्शी संवाद को मजबूत बनाया जा सकता है।
  • सुशासन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम सरकार की प्रक्रियाओं को सरल बनाना है ताकि पूरी प्रणाली को पारदर्शी बनाकर तीव्र किया जा सके और यह ई-गवर्नेंस के माध्यम से ही संभव है।
  •  ई-गवर्नेंस से व्यवसाय और नए अवसरों का सृजन हुआ है।

ई गवर्नेंस से संबंधित चुनौतियाँ

अवसंरचना

बिजली, इंटरनेट आदि बुनियादी सुविधाओं का अभाव।

(BharatNet और Saubhagya जैसी पहले इस संबंध में उठाए गए कदम हैं।)

लागत

  • .ई-गवर्नेंस हेतु किये जाने वाले उपाय महंगे होते हैं और इनके लिये भारी सार्वजनिक व्यय की आवश्यकता होती है।
  •  भारत जैसे विकासशील देशों में, ई-गवर्नेंस पहल के कार्यान्वयन में परियोजनाओं की लागत प्रमुख बाधाओं में से एक है।

गोपनीयता और सुरक्षा

  • डेटा लीक होने के मामलों ने ई-गवर्नेंस के प्रति लोगों के विश्वास को खतरे में डाल दिया है। इसलिये, ई- गवर्नेस परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सभी वर्गों के लोगों के हितों की सुरक्षा के लिये सुरक्षा मानक और प्रोटोकॉल होने चाहिये।

डिजिटल डिवाइड

  • ई गवर्नेंस सेवाओं का लाभ उठाने वाले और इन सेवाओं से वंचित लोगों की संख्या के मध्य बहुत अधिक अंतराल है।
  • डिजिटल विभाजन जनसंख्या के अमीर-गरीब, पुरुष-महिला, शहरी-ग्रामीण आदि क्षेत्रों में देखा जाता है।
  • इस अंतर को कम करने की आवश्यकता है, तभी ई-गवर्नेंस के लाभों का समान रूप से उपयोग किया जाएगा।

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