राष्ट्रीय हरित अधिकरण || National Green Tribunal (NGT)


राष्ट्रीय हरित अधिकरण

उद्देश्य : पर्यावरण से संबंधित मामलों का निपटारा करना ( 6 माह के अंदर)

गठन : 18 अक्टूबर 2010( केन्द्र सरकार द्वारा)

– एक सांविधिक निकाय है (ना कि संवैधानिक) – क्योंकि इसका गठन राष्ट्रीय हरित अधिकरण(NGT) अधिनियम, 2010 द्वारा किया गया है

मुख्यालय : नई दिल्ली
क्षेत्रीय मुख्यालय : भोपाल, पुणे, कोलकाता, चेन्नई

प्रथम अध्यक्ष : लोकेश्वर सिंह
वर्तमान अध्यक्ष : आदर्श कुमार गोयल

संबधित अन्तर्राष्ट्रीय पृष्ठभूमि :
1972 : स्टॉकहोम पर्यावरण सम्मेलन
1992 : रियो डी जेनेरियो में पृथ्वी सम्मेलन

प्रमुख बिंदु :

– इसे उच्च न्यायालय के समान दर्जा प्राप्त है
– भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बाद विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण स्थापित करने वाला दुनिया का तीसरा देश है।
– NGT के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 90 दिनों के अंदर अपील की जा सकती है

संरचना : 1 अध्यक्ष + सदस्य ( min. 10, max 20)
– इनमे कुछ सदस्य न्यायिक होंगे(जो उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय से होंगें) तथा कुछ शैक्षणिक या प्रशासनिक पृष्ठभूमि से होंगें।
– अध्यक्ष तथा सदस्य पुनः नियुक्ति के पात्र नहीं होते है

अरहर्ता :

अध्यक्ष – SC का न्यायाधीश या HC का मुख्य न्यायाधीश – वर्तमान या सेवानिवृत्त
सदस्य – 
न्यायिक सदस्य – SC/HC का न्यायाधीश – वर्तमान या सेवानिवृत्त
अन्य सदस्य – पर्यावरण का ज्ञाता हो, 15 वर्षों से पर्यावरण का अध्ययन कर रहा हो या 5 वर्षों से सरकार के पर्यावरण से जुड़े किसी विभाग में कार्यरत हो

नियुक्ति – केन्द्र सरकार द्वारा (चयन समिति की सिफारिश पर)
– अध्यक्ष की नियुक्ति भारत में मुख्य न्यायधीश के परामर्श से किया जाएगा

कार्यकाल : 5 वर्ष

अधिकतम आयु : 
SC से च्यनित – 70 वर्ष,
HC से च्यनित – 67 वर्ष,
अन्य – 65 वर्ष

त्यागपत्र – केन्द्र सरकार को

पद से हटाना : केन्द्र सरकार द्वारा
– अध्यक्ष और न्यायिक सदस्य उच्चतम न्यायालय के जांच के बाद हटाए जाएंगे
– अन्य सदस्य केन्द्र सरकार द्वारा दिवालिया, मानसिक या शारीरिक अक्षमता, किसी अपराध का दोषी,  दुराचरण या अपने कार्यकाल के दौरान अपने कार्यक्षेत्र से बाहर की रोजगार में संलिप्तता के कारण

कार्य :

– पर्यावरण से संबंधित मामलों का निपटारा करना ( 6 माह के अंदर)
– जंगलों की सुरक्षा
– पर्यावरण से जुड़े कानूनों का संरक्षण
– नगरिकों को स्वच्छ पर्यावरण मुहैय्या कराने प्रयास करना

शक्तियां :

– NGT की पास सिविल न्यायालय की शक्तियां होती है। और  अपने फैसले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत पर लेता है।
– ऐसे मामलों की सुनवाई करता है जिनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण शामिल हो
– पर्यावरणीय क्षति से पीड़ित व्यक्ति को कंपनसेशन प्रदान कर सकता है
– ट्रिब्यूनल के पास 10 करोड़ का आर्थिक दंड के साथ साथ अधिकतम 3 वर्ष तक की कारावास का दंड देने की भी शक्ति है

संबंधित अधिनियम :

  • जल(प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 
  • जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1977 
  • वन (संरक्षण) अिधिनयम, 1980 
  • वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनयम, 1981 
  • पर्यावरण(सरक्षण) अधिनयम, 1986 
  • जैव विविधता अधिनयम, 2002

राष्ट्रीय हरित अधिकरण(NGT) अधिनियम, 2010 से समबंधित प्रमुख धारा :

धारा 3 : स्थापना
धारा 4 : संरचना
धारा 5 : नियुक्ति के लिए अर्हता
धारा 6 : अध्यक्षवतहा सदस्यों की नियुक्ति
धारा 7 : कार्यकाल
धारा 8 : त्यागपत्र
धारा 9 : वेतन भत्ते तथा सेवा शर्तें
धारा 10 : अध्यक्ष तथा सदस्यों को पद से हटाया जाना

संबंधित अनुच्छेद : 323(B), 48(A)
संबंधित संविधान संशोधन : 42 वा

MPPSC Prelims 2022 60 Days Program
Books & Refrences For MPPSC 2022
MPPSC 2022 New Syllabus

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *