संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)


– स्थापना : 1 अक्तूबर 1926
– भारत का केंद्रीय भर्ती हेतु संस्था है
– स्वतंत्र संवैधानिक संस्था ( क्योंकि इसका गठन संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से किया गया है )
– संबंधित अनुच्छेद – 315 से 323
– संबंधित भाग – 14

– संरचना : 
एक अध्यक्ष + कुछ अन्य सदस्य ( सदस्यों की संख्या कितनी हो इसका उल्लेख संविधान में नहीं किया गया है )  
– सदस्यों की संख्या का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है ( साधारणतः आयोग में 9 से 11 सदस्य होते हैं )

– अर्हता : संविधान में आयोग के सदस्यों के लिए योग्यता का उल्लेख नहीं है। हालांकि यह आवश्यक है कि आयोग के आधे सदस्यों को भारत या राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्षों तक काम करने को अनुभव हो

– नियुक्ति : राष्ट्रपति द्वारा
– त्यागपत्र : राष्ट्रपति को
– कार्यकाल : 6 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु

– अध्यक्ष के अनुपस्थित रहने पर या पद रिक्त रहने पर राष्ट्रपति किसी भी सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्ति कर सकता है

अध्यक्ष तथा सदस्यों को पद से हटाना : राष्ट्रपति द्वारा  
दिवालिया, मानसिक या शारीरिक अक्षमता या कदाचार के कारण  कदाचार के कारण हटाने पर मामला जांच के लिए उच्चतम न्यायालय में भेजना होता है 
– इस मामले में उच्चतम न्यायालय की सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्य होती है

– संघ लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष – रास बार्कर(1926-1932)
– स्वतंत्र भारत में संघ लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष – एच के कृपलानी
– संघ लोक सेवा आयोग की प्रथम महिला अध्यक्ष – रोज मिलियन बैथ्यू (1992-1996)
– संघ लोक सेवा आयोग के वर्तमान में अध्यक्ष – मनोज सोनी

प्रमुख बिंदु :
– संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को वेतन, भत्ते व पेंशन भारत की संचित निधि से प्राप्त होते हैं। इन पर संसद में मतदान नहीं होता है
– आयोग का अध्यक्ष कार्यकाल के बाद भारत सरकार या राज्य सरकार की किसी और नौकरी का पात्र नहीं होगा
– आयोग के सदस्य कार्यकाल के बाद आयोग के अध्यक्ष या किसी राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति हो सकते है लेकिन भारत या राज्य सरकार के अधीन किसी अन्य नौकरी का पात्र नहीं हो सकता
– संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या सदस्य कार्यकाल के बाद के फिर से नियुक्त नहीं किया जा सकता
– संसद संघ लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र में प्राधिकरण, कॉरपोरेट निकाय या सार्वजनिक संस्था के निजी प्रबंधन के कार्य भी से सकता है
– राष्ट्रपति अखिल भारतीय सेवा, केंद्रीय सेवा व पद के संबंध में नियमन बना सकता है, जिसके लिए आयोग से परामर्श की आव्यशकता नहीं है।( परन्तु इसे राष्ट्रपति को कम से कम 14 दिनों तक के लिए संसद में रखना होता है। संसद इसे संशोधित या खारिज कर सकती है।)

आयोग के कार्य :
– परीक्षाओं का आयोजन अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं तथा केंद्र शासित क्षेत्रों की लोक सेवा में नियुक्ति के लिए 
– सरकार के तहत विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए भर्ती नियमों का निर्धारण और संशोधन  
– राष्ट्रपति द्वारा आयोग को संदर्भित किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देना
– किसी राज्यपाल के अनुरोध पर किन्हीं मामलों पर राज्यों को सलाह प्रदान करता है
– आयोग हर वर्ष अपने कामों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है

संबंधित अनुच्छेद –
315 – संघ तथा राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
316 – सदस्यों की नियुक्ति तथा कार्यकाल
317 – लोक सेवा आयोग के सदस्य की बर्खास्तगी एवं निलंबन
318 – आयोग के सदस्यों एवं कर्मचारियों की सेवा शर्तों संबंधी नियम बनाने कि शक्ति
319 – आयोग के सदस्यों द्वारा सदस्यता समाप्ति के पश्चात पद पर बने रहने पर रोक
320 – लोक सेवा आयोग के कार्य
321 – लोक सेवा आयोग के कार्यों को विस्तारित करने की शक्ति
322 – लोक सेवा आयोग का खर्च
323 – लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन

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